श्री झाड़खंडनाथ  तीर्थ स्थली में जो भी शिव भक्त सहत्रघटाभिषेक करना चाहते है उन्हें मंदिर से दो कलश, एक ताम्र का झारा जिसमें 1001 छिद्र होते है। प्रदान किया जाता है। झारे के द्वारा जल 1001  बार चढ़ाया जाता है  तथा ब्राह्मण इसके साथ रूद्री का पाठ करते रहते है। यह अभिषेक श्रीबद्रीनाथ के पट खुलने के समय करीब मई के महिने में प्रारम्भ होकर श्रावण कि पूर्णमासी को बंद हो जाता है। इस अभिषेक को करने वाला भक्त अपने आप को धन्य मानता है।

अभिषेकः-

श्री झाड़खंडनाथ  तीर्थ स्थली में अभिषेक के लिये मंदिर से चाँदी का कलश देते है तथा तकथी लगाते है। इसमे तीन घंटे रूद्री का पाठ होता है। तथा यह बारह महिने चलता है। इस अभिषेक को जयपुर से बाहर के लोग ज्यादा करते है।

पूजा का समयः

श्री झाड़खंडनाथ  तीर्थ स्थली में आरती व पूजा का समय बरसों से निश्चित है। श्री झाड़खंडनाथ  तीर्थ स्थली में पूजा व आरती दिन में दो बार होती है। पहली पूजा व आरती का समय सुबह 4 बजे पूजा प्रारम्भ करके 4.45 बजे आरती करते है। दूसरी शाम को सूर्यअस्त पर आरती होती है। सांय की आरती से पहले करीब शाम 4 बजे गर्भग्रह के पट बन्द करके नियम कि पूजा व मंदिर को धोया जाता है। गर्भग्रह को धोने के बाद श्री झाड़खंडनाथ  शिवज्योर्तिलिंग का श्रृंगार होता है। भोले बाबा का श्रृंगार चलता रहता है और भक्त इस श्रगार का अनंद लेते रहते है।श्री झाड़खंडनाथ तीर्थ स्थली में नियमित समय रात्री 9 बजे शयन होता है। प्रदोश के दिन शयन का समय 10 बजे का रखा गया है। प्रत्येक सोमवार को शयन का समय 11 बजे का रखा गया है। क्यों कि इन दिवसों पर भक्तो कि संख्या अधिक होती है। श्रीझाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली में भक्तों के लिये शिव दर्शनो की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाता है। यहां यह प्रयास रहता है की आने वाले शिव भक्तों को ज्यादा से ज्यादा दर्शनों का लाभ प्राप्त हो सके।

आरती कि विशेषताः

स्वयंभू श्री झाड़खंडनाथ शिव ज्योर्तिलिंग तीर्थ स्थली में यह एक अजुबा ही है कि देनो आरतियों के समय यहां कबुतरों, मोरो, तोतो के साथ-साथ अन्य पक्षियों का झुण्ड पेड़ों  पर एकत्रित हो जाता है। जो बिना शोर शराबे के जड़ रूप में  तब तक रहते है जब तक आरती पूर्ण नही हो जाती है। इसे देख कर यही अहसास होता है कि हो न हो यह सब कोई महान शिव भक्त है जो वीर गति को प्राप्त करके पक्षि योनियो मे आकर यहां शिव दर्शनों का लाभ ले रहें है। इसे श्री झाड़खंडनाथ महादेव का चमत्कार ही कहा जायेगा वरना पक्षि  योनियों में रह कर आरती के समय शांत भाव से श्री झाड़खंडनाथ महादेव कि सेवा में अपने आपको पूर्ण समपिर्त करना कैसे सम्भव है। ऐसे अद्भूत माहौल को देख कर आने वाले शिवभक्त आत्म विभोर हो जाते है।

प्रसाद का वितरणः

प्रत्येक दिवस यहां प्रसाद का वितरण सांयकाल को होता है। प्रसाद मे मिश्री व मखाने हर आने वाले भक्त को पूर्ण श्रद्धा से दिये जाते है।

मंदिर के गर्भग्रह में अखण्ड ज्योतीः

श्री झाड़खंडनाथ तीर्थ स्थली में  सन् 1962 में अखण्ड ज्योति प्रज्जवल्लित की गई थी यह असली घी से जलाई गई है । अखण्ड ज्योति आज भी ज्यो कि त्यों प्रज्जवल्लित है अपने प्रभू शिव के आर्शिवाद कि ज्योति के रूप मे इसी कामना के साथ कि  श्री झाड़खंडनाथ महादेव सबके जीवन मे प्रकाश व उजाला हमेशा फैलाये रखे।

अखण्ड ज्योतीः

श्री झाड़खंडनाथ तीर्थ स्थली मे यह अखंड  ज्योति उत्तर-पूर्व के कोन मे बनी बुर्ज नन्द कुटिर में प्रज्जवलित है। ऐसा कहा जाता है। कि यह अखण्ड ज्योति पहले 50 साल तक सोती रही थी। इस अखण्ड ज्योति को आज से करीब 30  साल पहले यहां आये एक सिद्ध महात्माजी ने 9 दिनों तक तपस्या करके पुनः ज्योति प्रदान कि जो आज तक निरन्तर प्रज्जवलित है।